किसान आंदोलन हिन्दी निबंध:- भारत में कृषि क्रांति एवं कृषक आंदोलन पर निबंध,भारत में किसान आंदोलन,भारत में कृषि क्रांति पर निबंध,कृषक आंदोलन पर निबंध,भारत में कृषक की दशा पर निबंध,किसान आंदोलन, भारतीय किसान दशा और दिशा,आधुनिक भारत में किसान आंदोलन,भारत में किसान आंदोलन के जनक,भारत में कृषक आंदोलन के परिणाम,
भारत में किसान आंदोलन एक लंबे समय से चल रहा आंदोलन है, जो किसानों के अधिकारों और हितों के लिए लड़ रहा है। यह आंदोलन कई बार हुआ है, लेकिन सबसे हालिया आंदोलन 2020 में शुरू हुआ और 2021 में समाप्त हुआ।
किसान आंदोलन का इतिहास
किसान आंदोलन का इतिहास बहुत पुराना है। भारत में किसानों के अधिकारों के लिए पहला बड़ा आंदोलन 1857 में हुआ था, जब किसानों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था। इस आंदोलन को ‘सत्याग्रह आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है।
1920 के दशक में, किसान आंदोलन ने फिर से जोर पकड़ा। इस बार किसानों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस आंदोलन को ‘असहयोग आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है।
1970 के दशक में, किसान आंदोलन ने एक बार फिर से जोर पकड़ा। इस बार किसानों ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस आंदोलन को ‘सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है।
2020 में, किसान आंदोलन ने एक बार फिर से जोर पकड़ा। इस बार किसानों ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इस आंदोलन को ‘किसान आंदोलन 2020’ के नाम से जाना जाता है।
किसान आंदोलन 2020
किसान आंदोलन 2020 का मुख्य कारण तीन नए कृषि कानून थे, जिन्हें भारतीय संसद ने पारित किया था। इन कानूनों का किसानों ने विरोध किया, क्योंकि वे मानते थे कि ये कानून उनके हितों को नुकसान पहुंचाएंगे।
किसान आंदोलन 2020 में कई चरण थे। पहले चरण में, किसान दिल्ली के सीमाओं पर धरना देना शुरू कर दिया। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
दूसरे चरण में, किसान दिल्ली में मार्च करना शुरू कर दिया। वे भारतीय संसद के सामने धरना देना शुरू कर दिया।
तीसरे चरण में, किसान भारत के विभिन्न राज्यों में धरना देना शुरू कर दिया। वे तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे।
किसान आंदोलन 2020 को भारत के इतिहास में सबसे बड़े किसान आंदोलन के रूप में जाना जाता है। इस आंदोलन में लाखों किसानों ने भाग लिया था।
किसान आंदोलन का महत्व
किसान आंदोलन 2020 का महत्व कई मायनों में है। यह आंदोलन किसानों के अधिकारों और हितों के लिए लड़ रहा था। इस आंदोलन ने किसानों की एकजुटता को भी दिखाया। इस आंदोलन ने भारत के किसानों के मुद्दों को दुनिया के सामने भी लाया।
किसान आंदोलन 2020 के परिणामस्वरूप, भारतीय सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। यह किसान आंदोलन के लिए एक बड़ी जीत थी।
किसान आंदोलन के भविष्य
किसान आंदोलन 2020 का भविष्य अभी भी अनिश्चित है। हालांकि, इस आंदोलन ने किसानों के अधिकारों और हितों के लिए लड़ने के लिए एक मजबूत आधार बनाया है। भविष्य में, किसान आंदोलन कई अन्य मुद्दों के लिए भी लड़ सकता है, जैसे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य, सिंचाई सुविधाओं और कृषि उद्योग में सरकारी हस्तक्षेप।
किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए क्या करें?
यदि आप किसान आंदोलन में शामिल होना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित कर सकते हैं:
- अपने स्थानीय किसान संगठन से संपर्क करें।
- किसान आंदोलन के बारे में जागरूकता फैलाएं।
- किसान आंदोलन को आर्थिक रूप से समर्थन करें।
- किसान आंदोलन के लिए शांतिपूर्ण रूप से मार्च करें।
किसान आंदोलन एक महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो किसानों के अधिकारों और हितों के लिए लड़ रहा है। आप इस आंदोलन में शामिल होकर किसानों का समर्थन कर सकते हैं।
यहां किसान आंदोलन 2020 के बारे में अधिक जानकारी दी गई है
- किसान जिन तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे वे थे:
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
- मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता
भारत में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण क्या है?
भारत में कृषक आंदोलन के मुख्य कारण है किसानों पर होने वाले अत्याचार, अवैध करारोपण, अवैतनिक श्रम, उच्च लगान, मनमानी बेदखली एवं भू राजस्व। भारत में कृषक की आर्थिक स्थिति दिन पतिदिन खराब हो रही है जिसके कारण कृषि श्रमिक कर्ज में डूबते जा रहे हैं।
- किसानों ने तर्क दिया कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देंगे, जो कृषि उपज के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, और उन्हें बड़े निगमों की दया पर छोड़ देगा।
- किसानों ने यह भी तर्क दिया कि कानूनों से निगमों के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण करना आसान हो जाएगा और किसानों की आत्महत्याओं की संख्या में वृद्धि होगी।
- किसानों का विरोध प्रदर्शन 26 नवंबर, 2020 को शुरू हुआ, जब बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के बाहरी इलाके सिंघू सीमा पर एकत्र हुए। विरोध जल्द ही देश के अन्य हिस्सों में फैल गया।
- कठोर सर्दी के मौसम और कोविड-19 महामारी के बावजूद, किसान एक साल से अधिक समय तक सीमा पर डेरा डाले रहे। उन्होंने विरोध प्रदर्शन, धरने और मार्च किये और सरकार से मिलने से भी इनकार कर दिया।सरकार अंततः 19 नवंबर, 2021 को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने पर सहमत हो गई। किसानों ने 26 नवंबर, 2021 को अपना विरोध समाप्त कर दिया।
- किसान आंदोलन 2020 एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने किसान आंदोलन की ताकत को दिखाया। विरोध प्रदर्शन सरकार को तीन कृषि कानूनों को रद्द करने में सफल रहा, लेकिन किसानों का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। वे अपने अधिकारों और हितों के लिए लड़ते रहेंगे।
यहां कुछ चीजें हैं जो आप किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए कर सकते हैं
- किसान संगठनों को दान दें.
- किसानों के मुद्दों पर जागरूकता फैलाएं.
- अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को लिखें और मांग करें कि वे किसानों का समर्थन करें।
- किसानों के समर्थन में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लें।
स्पष्ट है कि कृषक हितों की अब उपेक्षा नहीं की जा सकती। सरकार को चाहिए कि कृषि को उद्योग का दर्जा प्रदान करे। कृषि उत्पादों के मूल्य-निर्धारण में कृषकों की भी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। भूमि सुधार कार्यक्रम के दोषों का निवारण होना जरूरी है तथा सरकार को किसी भी कीमत पर डंकल प्रस्ताव को अस्वीकृत कर देना चाहिए और सरकार द्वारा किसानों की माँगों और उनके आन्दोलनों पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।