आज हम सरदार भगत सिंह जी पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Sardar Bhagat Singh in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
सरदार भगत सिंह जी पर निबंध Essay on Sardar Bhagat Singh in Hindi
सरदार भगतसिंह का नाम अमर शहीदों में विशेष रूप से लिया जाता है। भगतसिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 में पंजाब के जिला लायलपुर के बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगत सिंह के जन्म के समय इनके पिता ‘सरदार किशन सिंह’ एवं इनके दो चाचा ‘अजीतसिंह’ तथा ‘स्वर्णसिंह’ अंग्रेज सरकार की खिलाफत के कारण जेल में थे। जिस दिन भगतसिंह का जन्म हुआ, उसी दिन इनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया था। इस तरह भगतसिंह के घर में खुशी उस दिन दोगुनी हो गई थी।
भगतसिंह के जन्म के बाद इनकी दादी ने इनका नाम ‘भागों वाला’ रखा था, जिसका अर्थ होता है ‘अच्छे भाग्य वाला’। बाद में इन्हें ‘भगतसिंह’ कहा जाने लगा। ये 14 वर्ष की आयु से ही पंजाब की क्रांतिकारी संस्थाओं में कार्य करने लगे थे। डी.ए.वी. स्कूल से इन्होंने नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद इन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगीं तो ये लाहौर से भागकर कानपुर पहुंच गए। फिर देश की आजादी के संघर्ष में ये ऐसे रमे कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया।
एक अहिंसक आंदोलन में जब अंग्रेजों ने लाला लालपत राय को घोड़ों की टापों के तले रौंद दिया, तो पंजाब की युवा पीढ़ी का खून उबाल खा गया। इसी तरह जलियांवाला बाग में निरपराध मासूमों पर की गई क्रूर गोलीबारी ने भी युवकों के मन में बदले की भावना को बढ़ावा दिया। जान-बूझकर सब कुछ अनदेखा करने वाली अंग्रेज सरकार को चेतावनी देने के लिए भगतसिंह ने अपने साथियों के साथ असेंबली में पहले बम का धमाका किया और फिर आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन अंग्रेज सरकार ने इन पर मुकदमा चलाया और इन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया।