आज हम लोहड़ी पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Lohri in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
लोहड़ी पर निबंध Essay on Lohri in Hindi
पंजाब का एक प्रसिद्ध त्योहार है-लोहड़ी। यह मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी से 10-12 दिन पहले ही बच्चे ‘लोहड़ी’ के लोकगीत गाकर दाने, लकड़ी और गोबर के उपले इकट्ठे करते हैं। इस सामग्री से ही चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। रेवड़ी और मूंगफली अग्नि की भेंट किए जाते हैं तथा ये ही चीजें प्रसाद के रूप में सभी लोगों को बांटी जाती हैं।
घर लौटते समय ‘लोहड़ो’ में से दो-चार कोयले प्रसाद के रूप में, घर पर लाने की प्रथा भी है। रात्रि में खुले स्थान में परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बना कर बैठते हैं तथा मिल-जुल कर ढोल की थाप पर नाचते-गाते और थिरकते हैं। रेवड़ी, मूंगफली और मक्की के फूले खाते हैं।
लोहड़ी से संबद्ध परंपराओं एवं रीति-रिवाजों से ज्ञात होता है कि कई पौराणिक और लोक गाथाएं भी इससे जुड़ी हुई हैं। दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव, जो उनके दामाद थे, हिस्सा नहीं दिया था, उसी के प्रायश्चित्त रूप में इस अवसर पर विवाहिता के मायके द्वारा अपनी बेटी के पति का उस दिन सम्मान किया जाता है।
पंजाब में दुल्ला भट्टी ने दासी बनाई गई लड़कियों को मुक्ति दिलाई थी तथा उनका विवाह भी करवाया था। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में खिचड़वार’ और दक्षिण भारत के ‘पोंगल’ भी ‘लोहड़ी’ के समीप ही मनाए जाते हैं।
भारत के अन्य कई पर्यों की तरह यह भी फसलों का त्योहार है। खेतों में लहलहाती फसल से जुड़ी आशा और उत्साह ही इस दिन की मौजमस्ती के रूप में दिखाई देता है।