आज हम होली पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Holi in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
होली पर निबंध Essay on Holi in Hindi
इस पर्व का संदेश है-भूलो और क्षमा करो। हमारा इतिहास इस बात का गवाह है कि इस दिन ऊंच-नीच के सारे भेद मिट जाते हैं। उत्साह, मस्ती और रंगों में केवल मनुष्य होने की पहचान ही शेष रह जाती है।
फाल्गुनी पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन होता है। पौराणिक गाथाओं के अनुसार इसका संबंध होलिका के अग्नि में जलने के साथ है। होलिका प्रहलाद की बूआ थी। इस पर्व का संबंध वैदिक यज्ञ से भी है। इसीलिए इस दिन नई फसल की बालियों की आहुति दी जाती है। बच्चे-बूढ़े सभी प्रसन्नतापूर्वक अगले दिन सुबह से ही आपस में रंग-गुलाल लगाने जाते हैं। इस दिन एक-दूसरे को पकवान और मिठाइयां खाई-खिलाई जाती हैं।
होलिकोत्सव के लिए कई दिन पहले से बच्चे लकड़ी और कंडे एकत्रित करते हैं। एक माह पूर्व होली का डांडा गाड़ा जाता है। इस त्योहार का संबंध खेती से भी है। इस समय तक गेहूं और चने की फसल अधपकी तैयार हो जाती है। किसान इसे पहले अग्नि देवता को समर्पित कर फिर प्रसादस्वरूप स्वयं ग्रहण करता है। नई फसल आने की खुशी में किसान ढोलक, डफली और छैने बजाकर, नाच-गाकर समां बांध देते हैं। रंग के साथ ही राधा-कृष्ण के प्रेम भरे गीतों से समूचा वातावरण सराबोर रहता है।
इन दिनों इस त्योहार का महत्त्व कम होता जा रहा है। मस्ती का स्थान हुड़दंग ने ले लिया है। मेल-जोल के नाम पर स्वार्थ साधने की भूमिका तैयार की जाती है। दिखावा और प्रदर्शन इतना बढ़ गया है कि एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ लग गई है। भेंट-उपहार अपनों में बांटे जाते हैं। कभी-कभी तो प्रेम के नाम पर ईर्ष्या का रंग वातावरण को अपनी कालिमा से शर्मिंदा तक कर देता है। तब शक होता है कि होलिका और हिरण्यकश्यप अभी मरे नहीं हैं, उन्होंने बस अपना रूप बदल लिया है। लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि आखिर में जीत आस्था, भक्ति, प्रेम तथा भाईचारे की ही होती है।