आज हम गुरू नानक देव पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Guru Nanak Dev in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
गुरू नानक देव पर निबंध Essay on Guru Nanak Dev in Hindi
गुरु नानक देव या नानक देव सिखों के प्रथम गुरु हैं। गुरु नानक देव जी का प्रकाश (जन्म) 15 अप्रैल, 1469 ई. में तलवंडी राय भोई में (जो अब पाकिस्तान में, लाहौर से 30 मील दूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है) हुआ था। सुविधा की दृष्टि से गुरु नानक देव का प्रकाश उत्सव कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। तलवंडी अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है।
पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता त्रिप्ता देवी ने बालक का नाम ‘नानक’ रखा। गांव के पुरोहित पंडित हरदयाल ने जब बालक के बारे में सुना तो उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि बालक में जरूर ईश्वर का कोई रहस्य छुपा हुआ है। पंजाबी भाषा में कहा गया है-“जीती नौखंड मेदनी सतिनाम दा चक्र चलाया, भया आनंद जगत बिच कल तारण गुरु नानक आया।” बचपन से ही नानक के आचार-विचार और चाल-ढाल में अध्यात्म की झलक थी। उस समय की परंपरा के अनुसार, नानक का विवाह सोलह वर्ष की अवस्था में गुरदास पुर जिले के अंतर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाले भूला जी की कन्या सुलक्खनी से हो गया। 32 वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ और चार वर्ष बाद दूसरे पुत्र लखमी दास का।
इन्होंने अपने विचारों और दर्शन का प्रचार-प्रसार करने के लिए लंबी यात्राएं की। भारत के अलावा अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। गुरु नानक देव ने ‘एक देव’ को स्वीकार किया। उपासना में वे बाहरी कर्मकांड को निरर्थक मानते थे। सेवा, सत्संग और सिमरन इस तीन सूत्री साधना पर इन्होंने जोर दिया। इनकी विचारधारा का प्रभाव हिंदू-मुलसमान दोनों पर एक समान पड़ा। जीवन के अंतिम दिनों में इनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई थी। इन्होंने करतार पुर (जो अब पाकिस्तान में है) नामक एक नगर बसाया। यहीं 22 सितंबर, 1539 ई. में ये परम ज्योति में लीन हो गए।
ज्योति ज्योत समाने से पहले इन्होंने अपने शिष्य भाई लहना सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था, जो बाद में ‘गुरु अंगद देव’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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