मुंशी प्रेमचंद पर निबंध Eassy on Munshi Premchand in Hindi

आज हम मुंशी प्रेमचंद पर निबंध पढ़ेंगे। आप Eassy on Munshi Premchand in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।

Eassy on Munshi Premchand in Hindi

मुंशी प्रेमचंद पर निबंध Eassy on Munshi Premchand in Hindi

हिंदी साहित्य के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले और लोकप्रिय लेखक प्रेमचंद ने हिंदी में कहानियों और उपन्यासों को सुदृढ़ आधार दिया। इनकी कहानियां भारतीय समाज की कुरीतियों और विडंबनाओं पर आधारित हैं।

मुंशी प्रेमचंद का जन्म वाराणसी के निकट लमही गांव में 31 जुलाई, 1880 में हुआ था। मुंशी प्रेमचंद जी का मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। इन्होंने अपने प्रिय मित्र मुंशी दयानारायण निगम के सुझाव पर अपना नाम धनपतराय की जगह प्रेमचंद रखा और इसी नाम से कहानियों और उपन्यासों के रूप में अपने विचारों और भावों को अभिव्यक्ति दी।

इनके पिता का नाम अजायेब राय था। इनके पिता डाकखाने में निगरानी करते थे। इनकी माता का नाम आनंदी था। उस समय बाल-विवाह का चलन था। इसलिए प्रेमचंद जी का विवाह भी 15 वर्ष की उम्र में हो गया था। जब गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू किया तो उनके विचारों से प्रभावित होकर इन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया।

मुंशी प्रेमचंद जी ने कई प्रसिद्ध उपन्यास लिखे-जैसे, सेवासदन, निर्मला, गोदान, गबन, कर्मभूमि और रंगभूमि आदि। इनकी कहानियों को ‘मानसरोवर’ में, जो एक संग्रह ग्रंथ है, बाद में एक साथ प्रकाशित किया गया। बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने इन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ कहकर संबोधित किया है। इनका साहित्य पढ़ते समय ऐसा लगता है, मानो आप उस दृश्य को अपनी खुली आंखों से देख रहे हों, जिसका चित्रण रचनाकार ने किया है। इनकी कहानियों या उपन्यासों के पात्र कल्पना की उपज नहीं, बल्कि पूर्णरूप से सजीव लगते हैं। इसीलिए विश्व का साहित्य जगत इनका विशेष रूप से सम्मान करता है। ये हिंदी सिनेमा के सबसे अधिक लोकप्रिय साहित्यकारों में से एक हैं।

इनका 8 अक्टूबर, 1936 को वाराणसी में निधन हो गया।


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