शंकर दयाल शर्मा पर निबंध Essay on Shankar Dayal Sharma in Hindi

शंकरदयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त, 1918 को भोपाल में ‘दाई का मौहल्ला’ में हुआ था। उस समय भोपाल को नवाबों का शहर कहा जाता था। इनके पिता श्री खुशीलाल शर्मा एक वैद्य थे। इनकी माता का नाम ‘श्रीमती सुभद्रा देवी’ था। 7 मई, 1950 को श्री शंकरदयाल शर्मा का विवाह जयपुर में विमला शर्मा के साथ संपन्न हुआ था। इनके यहां दो पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ। श्रीमती विमला शर्मा सन् 1985 में उदयपुर क्षेत्र में प्रथम महिला विधायिका चुनी गईं।

शंकरदयाल शर्मा मध्य प्रदेश के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जो अपनी विद्वत्ता, सुदीर्घ राजनीतिक समझ-बूझ, समर्पण और देश-प्रेम के बल पर भारत के राष्ट्रपति बने। इन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम’ में मुख्य रूप से भाग लिया था। शंकरदयाल शर्मा ने 1992 ई. में भारत के सर्वोच्च पद-राष्ट्रपति पद का कार्यभार ग्रहण किया था। ये भारत के नौवें राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पहले ये भारत के आठवें उपराष्ट्रपति भी थे।

डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय ‘दिगंबर जैन स्कूल में हासिल की थी। इन्होंने ‘सेंट जोंस कॉलेज’, आगरा और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएल.बी. की उपाधि प्राप्त की थी। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य और संस्कृत सहित हिंदी में स्नातकोत्तर की उपाधियां अर्जित की। उसके बाद ये उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए, वहां कानून की शिक्षा ग्रहण की और पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

विश्वविद्यालय ने शंकरदयाल शर्मा को ‘डॉक्टर ऑफ लॉ’ की मानद विभूति से भी अलंकृत किया था। कुछ समय तक कैंब्रिज विश्वविद्यालय’ में कानून के अध्यापक रहने के बाद ये भारत वापस लौट आए और लखनऊ विश्वविद्यालय में कानून का अध्यापन कार्य करते रहे। अपने जीवन के अंतिम समय में डॉ. शर्मा बीमार रहे और दिल का दौरा पड़ने से 26 दिसंबर, 1999 को इनकी मृत्यु हो गई।


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