आज हम नारी शिक्षा पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Woman Education in Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।
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नारी शिक्षा पर निबंध Essay on Woman Education in Hindi
कहा गया है कि ‘जहां स्त्रियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। जहां इनका निरादर होता है, वहां सभी क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं।’ नारी को ‘गृह देवी’ या ‘गृह लक्ष्मी’ भी कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि मां सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रथम गुरु है। लेकिन संतान को संस्कार तो वह तभी दे पाएगी, जब वह स्वयं संस्कारी और शिक्षित होगी। इस तथ्य को समझते हुए ही यह कहा गया है कि जहां इनका निरादर होता है, वहां सभी क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं।
प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था। परंतु मध्यकाल में स्त्रियों की स्थिति दयनीय हो गई। उसका जीवन घर की चारदीवारी में सीमित हो गया। नारी को परदे में रहने के लिए विवश कर दिया गया। गुलामी की वजह से ऐसा करना विवशता भी थी। लेकिन आजादी के बाद तो ऐसा नहीं होना चाहिए था।
स्त्री-पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो पहिए हैं, इसलिए पुरुष के साथ-साथ स्त्री का भी शिक्षित होना जरूरी है। यदि माता सुशिक्षित होगी तो उसकी संतान भी सुशील और शिक्षित होगी। शिक्षित गृहिणी पति के कार्यों में भी हाथ बंटा सकती है, परिवार को सुचारु रूप से चला सकती है। स्त्री-शिक्षा का प्रसार होने से नारी आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनेगी। अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत होगी। आदर्श गृहिणी परिवार का सच्चा आभूषण और समाज का गौरव होती है।
स्त्री के लिए किताबी शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी बहुत जरूरी है, ताकि वह गृहकार्य में कुशल होने के साथ-साथ समाजसेवा में भी भली प्रकार से योगदान दे सके। नारी का योगदान समाज में सबसे ज्यादा होता है। बच्चों के लालन-पालन और शिक्षा से लेकर नौकरी तक नारी हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे है। अत: नारी को कभी कम नहीं आंकना चाहिए और उसका सदैव सम्मान करना चाहिए।